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राजस्थान रा जिला रो नक्शो
(आभार राजस्थान पत्रिका)

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भाटी जैसलजी
खिज्र खां जी
किशनसिंह जी राठौड
महारावल प्रतापसिंहजी
रतनसिंहजी
सूरतसिंहजी
सरदार सिंह जी
सुजानसिंहजी
उम्मेदसिंह जी
उदयसिंह जी
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डॉ. कविता 'किरण'

जन्मतारीख: 17 सितम्बर
शिक्षा:एम.कोम., डी. लिट्ट की मानद उपाधि
लेखन:गीत, गजल, बालगीत, कविता और कहानियाँ
भाषा: हिन्दी, ऊर्दू और राजस्थानी

कविता
मीराबांई
राजस्थानी भाषा
छोरियां
कतरनी अर सुई
गजल

प्रकाशित पुस्तके
दर्द का सफर (गजल संग्रह) पुरस्कृत
तुम कहते हो तो (कविता संग्रह)
चुपके-चुपके (लघु कविताएँ)
तूफानों के जलते दीपक (बालगीत संग्रह)
बखत री बातां (राजस्थानी गजल संग्रह) पुरस्कृत
बोली रा बाण (राजस्थानी गजल संग्रह)
मुखर मून (राजस्थानी काव्य संग्रह)
तुम्हीं कुछ कहो ना! (हिन्दी गजलें)

प्रकाशन की प्रतीक्षा में
मै अच्छा इन्सान बनूंगा (बालगीत)
नीली आँखे (कहानी संग्रह)
ये तो केवल प्यार है (हिन्दी गीत)
सूली ऊपर सेज (राजस्थानी दोहे)
पैली पैली प्रीत (राजस्थानी गीत)


कार्यक्षेत्र
देश-भर मे होने वाले अखिल भारतीय कवि सम्मेलनों में कवयित्री के रूप स्थापित,आकाशवाणी केन्द्र जोधपुर, उदयपुर, जयपुर, दिल्ली तथा विविधभारती से प्रसारित, दूरदर्शन केन्द्र जयपुर, डीडी1, नेशनल चेनल, सब टीवी, ईटीसी, सीएमएम, भास्कर टी.वी. एवं लाईव इंडिया चैनल से काव्य पाठ प्रसारित।

सम्मान और पुरस्कार
सिक्किम के मुख्यमंत्री श्री पवन चामलिंग द्वारा सम्मानित
टेपा सम्मान, उज्जैन।
रोटरी क्लब, गेंगटोक से सम्मानित
हिन्दी अकादमी, (दिल्ली) से सम्मानित
राजस्थानी सेवा-सम्मान, बीकानेर
कर्णधार सम्मान, राजस्थान पत्रिका, जयपुर
राजस्थानी महिला साहित्यकार सम्मान, नगर श्री चुरू
हिन्दी साहित्य संगम पुरस्कार, बोकारो सहित अनेको संस्थाओं से सम्मानित

उपलब्धियाँ
'आओ प्यार करें' व 'गुण्डागर्दी' फिल्मों में गीत।
भारत-नेपाल मैत्री संघ की ओर से नेपाल में सम्मानित।
दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले पर काव्य पाठ
लोकगीत गायन के लगभग पन्द्रह ऑडियो केसेट प्रसारित


सम्पर्क सूत्र
नेहरू कॉलोनी, फालना स्टेशन-306116, जिला-पाली (राजस्थान)
मो. 094145-23730
098293-17780
ई-मेल kavitakiran2008@yahoo.com

मीराबांई
समरथ नारी जाती ने करबा आई मीरांबाई
धिन-धिन मेड़तणी माटी जिण में जाई मीरांबाई
पीड़ा रो पद, उर अंतस री कविताई मीरांबाई
धिन-धिन मेड़तणी माटी जिण में जाई मीरांबाई
रतनसिंह री जाई राजा भोजराज री पटराणी
उज्वल धवल रूप चंदा ज्यूं इमरत झरती ही वाणी
बालपणै में ही गिरधर रे दरसण री मन में ठाणी
मन ई मन मनमोहन सूं कर ब्याव लियो वा दीवानी
एक पति परमेसर गिरधर ने ब्याई मीरांबाई
धिन-धिन मेड़तणी माटी जिण में जाई मीरांबाई
रतनसिंह री जाई राजा भोजराज री पटराणी
उज्वल धवल रूप चंदा ज्यूं इमरत झरती ही वाणी
बालपणै में ही गिरधर रे दरसण री मन में ठाणी
मन ई मन मनमोहन सूं कर ब्याव लियो वा दीवानी
एक पति परमेसर गिरधर ने ब्याई मीरांबाई
धिन-धिन मेड़तणी माटी जिण में जाई मीरांबाई
सती-प्रथा ने तज राणा रा महल मालिया छोड़ दिया
बण जोगण बंशी री धुन सूं तार हिरदे रा जोड़ दिया
विष रो प्यालो हंस हंस पीङगी झूठां बंधन तोड़ दिया
बांध पगां रे घुंघरू नाची लोक-लाज सब छोड़ दिया
साधां री संगत में बैठी हरषाई मीरांबाई
धिन-धिन मेड़तणी माटी जिण में जाई मीरांबाई
कृष्ण कन्हैयालाल है गीता मीरां ढाई आखर है
भगती मीरांबाई है तो मुगती नटवर नागर है
श्याम पिया सरवस मीरां रो वा चरणां चाकर है
आतम जुगां जुगां सूं ई परमातम पे न्यौछावर है
भगती सगती मुगती पावन पुण्याई मीरांबाई
धिन-धिन मेड़तणी माटी जिण में जाई मीराबाई
लौकिक देह अलौकिक प्रीती मीरा प्रेम पियासी हो
अपणै मन री मालिक ही पण प्रभु चरणां री दासी ही
तीन लोक रेवासी ही पण परमलोक री वासी हो
नश्वर देह मे भगती री लिव अजर अमर अविनासी ही

रजथानी-गौरव जन-जन रे मन छाई मीरांबाई
धिन-धिन मेड़तणी माटी जिण में जाई मीराबाई

राजस्थानी भाषा
वीर शिरोमणी धरती री पहचाण है या परिभाषा है
सारी भाषावां सूं न्यारी राजस्थानी भाषा है
समला जग में या जस पावे जन-जन री अभिलाषा है
सारी भाषावां सूं न्यारी राजस्थानी भाषा है
मायड़ भाषा रे सगला हेतालुवां ने हेलो है
अपणी भाषा में बतलाणों फरज आपणो पेलो है
सबद-सबद इतरो मीठो मन कैवे वाह-सा वाह-सा है
सारी भाषावां सूं न्यारी राजस्थानी भाषा है
गांव-स्हैर ढाणी-ढाणी जन-जन ने जाय जगाणो है
मासी काकी भुआ बिच्चै मां ने मान दिराणो है
अठा सूं बोल्या है बाङसा अर वठा सूं बोल्या माङसा है
सारी भाषवां सूं न्यारी राजस्थानी भाषा है
म्हांने म्हांकी मायड़ भाषा पे है घणो मान-अभिमान
म्हांके संग सगला जगआला गावे राजस्थानी गुणगान
आबाआली पीढ़ी रे मन री जीवन री आशा है
सारी भाषावां सूं न्यारी राजस्थानी भाषा है

छोरियां
छोरियां!
काँई ठा क्यूं
डर जाया करे
अपणी ई छाया सूं
काली रातां में
अर काछबा ज्यू
समेट ले अपणैं अंगां ने
अपणी'ज
खाल रे मांय
पकड़ पकड़ छोड़े
एक एक सांस।
उनाला में ई धूंजे
पी जावे
मूंडे री भाप
चुपचाप।
छोरियां!
डरप जावे
सूना गेला में
पगरख्यां री
चर-चर सूं
जम जावे
बरफ रे ज्यान
अपणै"इज डील रे
सांच में।
हो जावे भाटा ज्यूं
मिनखां री
तनभेदती निजरां पड़तांई।
छोरियां!
कांई ठा क्यूं
नमत्ती जावे
दन-दन
लदियोड़ी बेल ज्यूं,
गड़ जावे
धरती रे मांय
नीं कीधा अपराध रे
बोध सूं।
छोरियां!
थाक'गी है
खुद अपणी ई
बधती उमर रे
बोझ सूं

कतरनी अर सुई
कतरनी
इतरा'र
एक दिन
सुई सूं बोली,
'सिलाई में थारी
अर म्हारी
दोनां री जरूरत पड,
पण म्हारै डील रे
सामै
थारी औकात
कित्ती छोटी है।'
सुई सांत भाव सूं
जवाब दियो,
'हां बैन!
थारो डील मोटो है
पण म्हारो काम।
थूं काटबा को
काम करै
अर म्हैं
जोडबा को'
इतरो सुण
कतरनी सरमायगी
अर अपणा
होठ भींच लिया।

गजल
डरपे कांई बोल'र सांच
कदै सांच ने आवे आंच
दूजां ने परखणआला
पैलां खुद रा मन ने जांच
नहीं तडकता समै करै
काचो व्है बिस्वास रो कांच
तन रा पाना राबा दे
थूं मनड़े री पोथी बांच
काम क्रोध मद मोह'र लोभ
काया रा है दुस्मण पांच
तप-तप सोनो बण जासी
जिंदगाणी री घट्टी टांच

गजल
जीवन रा है दिन कतरा'क
मुट्ठी में दाणा जितरा'क
जतरी मरजी मालिक री
भरणी है स्वासां वितरा'क
गले पडी है मिरतू आय
टालमटोल करां कितरा'क
आखी उमर घौड़िया पण
पौंच्या तो ई बस इतरा'क

 

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आस रे थांबे आसमान टिक्योडो ।